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			 बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छतासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता
कब्ज (Constipation)
यह कोई बीमारी नहीं है। इसमें व्यक्ति अनियमित, देर से, अपूर्ण तथा कठिनाई से सूखा कड़ा मल त्याग करता है। कभी-कभी तो मल से गुदा की दीवारें छिल जाती हैं तथा खून आने लगता है। बच्चे तो मल-त्याग के समय दर्द होने के कारण रोने लगते हैं। कब्ज में पेट पूरी तरह साफ नहीं होता है जिससे जी मिचलाने लगता है, भूख नहीं लगती है, सिर में दर्द होने लगता है, जीभ खराब हो जाती है।
कब्ज के प्रकार
कब्ज तीन प्रकार से हो सकता है—-
1. आँत ऐंठन उत्पादन कब्ज- कुछ भोज्य पदार्थों के खाने से बड़ी आँत की माँसपेशियाँ संकुचित हो जाती हैं तथा रसांकुर द्वारा आँतों में होने वाली क्रमाकुंचन गति धीमी पड़ जाती है जिससे मल आगे नहीं बढ़ता है। मल के काफी समय तक बड़ी आँत में रहने के कारण मल सख्त पड़ जाता है क्योंकि पानी का अवशोषण बड़ी आँत में ही होता है।
2. प्रतिबन्धक कब्ज-बड़ी आँत में किसी भी प्रकार का अवरोध हो जाने के कारण इस प्रकार का कब्ज हो जाता है। इसमें मल की दृढ़ता असामान्य हो जाती है तथा मल अर्द्ध ठोस अवस्था में हो सकता है।
3. आँत की निर्बलता के कारण कब्ज - वृद्धावस्था में अक्सर इस प्रकार का कब्ज देखने को मिलता है वृद्धावस्था में विटामिन्स की कमी हो जाती है जिससे मॉसपेशियाँ कमजोर पड़ जाती हैं। अधिक मात्रा में रासायनिक दवाइयाँ लेने या एनिमा लगवाने से भी आँतें कमजोर हो जाती हैं तथा कब्ज कर देती हैं।
कब्ज के कारण
1. उचित व्यायाम न करने से आँत की माँसपेशियों की क्रियाशीलता में कमी आ जाती है तथा कब्ज हो जाता है।
2. शौच जाने की अनियमित आदत - बच्चों में कब्ज का यह प्रमुख कारण है। व्यक्ति को नियमित रूप से मल त्याग करना चाहिए। दिन में एक बार मल त्याग जरूर करना चाहिए। कुछ व्यक्ति सुबह तथा शाम दिन में दो बार मल त्याग करते हैं।
3. आँत की बीमारी हो जाने के कारण, जैसे-
(i) आँतों में सूजन आ जाना।
(ii) आँत में माँस का बढ़ जाना या केन्सर हो जाना।
4. पर्याप्त विश्राम न करना तथा अनियमित भोजन करने से; जैसे— यात्रा के दौरान।
5. आहार में रेशेयुक्त भोज्य पदार्थ का अभाव रहना।
6. बीमारी तथा मानसिक तनाव की स्थिति में कब्ज का हो जाना।
7. दोषपूर्ण भोजन करना, जैसे—पर्याप्त मात्रा में जल या तरल पदार्थ न लेना, रिफाइन्ड व अधिक सान्द्रता वाले भोज्य पदार्थ लेना या भोज्य पदार्थों की कम मात्रा लेना।
8. लेक्जेटिव व कैथरटिक्स का अधिक सेवन करने से।
कब्ज का इलाज
तीन प्रकार से कर सकते हैं:
1. आहार चिकित्सा द्वारा।
2. चिकित्सीय उपाय द्वारा।
3. व्यक्ति की आदतों में परिवर्तन लाकर।
1. आहार चिकित्सा द्वारा — (i) कब्ज वाले व्यक्ति के लिए कुछ जरूरी पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है; जैसे-
(a) विटामिन्स — आँतों की मांसपेशियों की क्रियाशीलता को बढ़ाने के लिए विटामिन्स 'बी' समूह की अधिक आवश्यकता पड़ती है। खमीर वाले पदार्थ अधिक देने चाहिए।
(b) प्रोटीन – सामान्य से थोड़ी अधिक प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है। 60 से 80 ग्राम / व्यक्ति/दिन।
(c) कैलोरी - सामान्य कैलोरी की ही आवश्यकता पड़ती है।
(d) वसा - वसा के प्रयोग से मल साफ होता है। अतः मक्खन, घी तथा तेल उचित मात्रा में देना चाहिए।
(e) जल- कब्ज के रोगी को पानी खूब देना चाहिए। 8-10 गिलास पानी लेना बहुत जरूरी है। सुबह उठने के बाद गुनगुने पानी में नीबू डालकर देने से कब्ज के रोगी को आराम मिलता है।
(ii) कब्ज में देने योग्य भोज्य पदार्थ-
• सेब बिना छिला, अमरूद, केला, सन्तरा, अंगूर आदि।
• अंजीर, मुनक्का।
• चोकर युक्त आटा, गेहूँ का दलिया, सभी मोटे चोकर युक्त अनाज।
• साबुत दालें, अंकुरित मूँग चना।
• सभी प्रकार की हरी सब्जियाँ पत्ते वाली तथा बिना पत्ते वाली।
(iii) कब्ज में वर्जित भोज्य पदार्थ
• गरिष्ठ मिर्च-मसाले युक्त व्यंजन (छोले )।
• गरिष्ठ मिठाइयाँ, मुरब्बा आदि।
• मैदा, मैदा से बनी चीजें, छना हुआ आटा, चावल।
• तले हुए भोज्य पदार्थ।
2. व्यक्ति की आदतों में परिवर्तन लाकर- कब्ज की स्थिति में सुधार करने के लिए व्यक्ति को अपनी आदतों मे बदलाव लाना पड़ेगा तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी अच्छी आदतें उसको अपनानी पड़ेगी, जैसे-
(i) नियमित रूप से निश्चित समय पर भोजन करना।
(ii) नियमित रूप से निश्चित समय पर मल त्याग करना।
(iii) नियमित रूप से व्यायाम करना यदि सम्भव हो।
(iv) पर्याप्त आराम तथा विश्राम करना।
(v) पूर्ण आहार तथा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेना।
कब्ज के रोगी के लिए एक दिन की आहार तालिका
| समय | शाकाहारी | मांसाहारी | 
| प्रातः 6.00 बजे | गुनगुना नीबू पानी या चाय | चाय एक कप | 
| नाश्ता 8.00 बजे | फल तथा दूध या डबलरोटी, मक्खन तथा दूध | डबलरोटी, मक्खन तथा दूध, उबला अण्डा तथा डबलरोटी, दूध | 
| 10.00 बजे | अमरूद या केला | अमरूद या केला | 
| दोपहर का भोजन 12.00 बजे | सलाद, चटनी, रायता, दाल, चपाती, हरी सब्जी | सलाद, चटनी, पापड़, रायता, मटन की सब्जी, चपाती | 
| साय: 4.00 बजे | चाय बिस्कुट या भीगा चना | चाय बिस्कुट | 
| रात्रि का भोजन 8:00 बजे | मिस्सी रोटी, रसे की सब्जी, पत्तागोभी, रायता, सलाद | रसे की सबजी, मिस्सी रोटी, रायता सलाद, हरी सब्जी | 
| 10.00 बजे | एक गिलास दूध | एक गिलास दूध। | 
						
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